मेरी शायरी
ऐ बेखबर तेरे लिए एक
मशवरा है कभी हमारा ख्याल आये
तो अपना ख्याल रखना.
इतनी बदसलुकी मत कर ए जिंदगी,
हम कौन सा यहाँ बार बार आने वाले है.
पुरानी होकर भी खास होती जा रही है,
मोहब्बत बेशरम है बेहिसाब होती जा रही है.
बस कर, पत्थर होने लगी हैं आँखें ।
ऐ दिल हर रोज़, यूँ उसका रस्ता न देख
थोड़ा बचा हूँ, बाकि हिसाब हो चुका है,
बहुत कुछ है, जो मुझमें राख़ हो चुका है ।
बरसों से कायम है इश्क़ अपने उसूलों पर,
ये कल भी तकलीफ देता था ये आज भी तकलीफ देता है.
कहानी खत्म हो तो कुछ ऐसे खत्म हो,
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते बजाते.
तेरी याद से शुरू होती है मेरी हर सुबह,
फिर ये कैसे कह दूँ कि मेरा दिन खराब है.
उम्र कितनी मंजिले तय कर चुकी,
दिल बेचारा वहीँ का वहीँ रह गया.