तनाव से बचने के लिए योगा -सुप्त उदराक्शनासन
सुप्त उदराक्शवनासन कैसे करें। इसके लिए जमीन पर सीधे लेट जाइए। अपने हाथों को सिर के नीचे रखें। अपने दोनों घुटने मोड़ें और पैरों को आपस में जोड़ लें। इसके बाद अपने पैरों को दायीं ओर मोड़ें और गर्दन को बायीं ओर। अपनी आंखें बंद करें और खिंचाव को महसूस करें। सांसों की गति को सामान्य बनाये रखें। यह आपके नर्वस सिस्टम को काफी लाभ पहुंचाता है। इस क्रिया को दूसरी ओर से भी दोहरायें। यह तनाव और कमर दर्द में बहुत लाभ पहुंचाता है।
कब्ज के लिए लाभकारी घरेलू नुस्खे
कब्ज की समस्या कभी भी हो सकती है, लेकिन अगर यह कई दिन तक रहे तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसमें दवाओं के प्रयोग से अच्छा है कि आप घरेलू नुस्खों की शरण में जायें। कब्ज के लिए त्रिफला पाउडर या चूरन बहुत प्रभावी हैं। इसे गर्म पानी के साथ एक चम्मच लें, रात को सोते समय या सुबह खाली पेट पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लें सकते हैं। इसके अलावा किशमिश में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है, एक मुठ्ठी किशमिश को रातभर भिगो कर रख दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है। अमरूद के पल्प में घुलनशील फाइबर और बीजों मे अघुलनशील फाइबर होता है। नींबू रस अंतड़ियों को साफ करता है, इसमें मौजूद नमक पेट को साफ करने में मदद करता है। एक ग्लास गर्म पानी में नींबू रस मिलाएं, इसमें थोड़ा सा नमक मिला लें, कब्ज से राहत पाने के लिए खाली पेट इसका सेवन करें। इसके अलावा दूसरे घरेलू नुस्खों के बारे में जानने के लिए इस वीडियो को देखें।
डायबिटीज के लिए घरेलू नुस्खे
ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने के कारण डायबिटीज की समस्या होती है। डायबिटीज के उपचार में घरेलू नुस्खे भी बहुत प्रभावी हैं। इसके लिए सबसे पहले दो या तीन करेला लेकर उसके बीज निकाल दें। फिर जूसर की मदद से इसका जूस निकालें। इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर, रोजाना सुबह खाली पेट पीयें। इस उपाय को नियमित रूप से कम से कम दो महीने तक सुबह में करें। इसके अलावा आप अपने दैनिक आहार में एक करेला की डिश बनाकर भी शामिल कर सकते हैं। आधा चम्मच दालचीनी को एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर रोजाना पीयें। दूसरा विकल्प ये है कि 4 दालचीनी की छड़ को एक कप पानी में उबालें और 20 मिनट तक इसको पानी में ही पड़ा रहने दें। जब तक सुधार ना हो तब तक इसका सेवन रोज करें। आप चाहें तो दालचीनी को गर्म पेय, स्मूथी और बेक्ड आहारों में भी डालकर खा सकते हैं। रात में दो बड़े चम्मच मेथी के बीज पानी में भिगाकर रख दें। सुबह खाली पेट इस पानी को बीज के साथ पी लें। इस नुस्खे को रोज बिना भूले कई महीनों तक अपनाएं। इससे आपका ग्लूकोज का स्तर कम हो जाएगा। दूसरा विकल्प है कि, आप रोज दो बड़े चम्मच मेथी के बीजों के पाउडर को दूध के साथ पिएं। इसके अलावा डायबिटीज के उपचार के लिए प्रभावी दूसरे तरीकों के बारे में जानने के लिए इस वीडियो को देखें।
हार्ट बर्न के लिए घरेलू उपचार
सीने में जलन की समस्या आम भी हो सकती है और इसके कारण आपको खासी दिक्कत भी हो सकती है। अगर आपने कुछ मसालेदार खाया हो तो इसके कारण भी सीने में जलन की समस्या हो सकती है। हार्ट बर्न के उपचार के लिए दवाओं की बजाय घरेलू नुस्खों का प्रयोग करें। इसके लिए बेकिंग सोडा प्रयोग करें, आधा या एक बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा और एक गिलास पानी लीजिए, एक या आधा चम्मच बेकिंग सोडे को एक गिलास पानी (8 औंस से कम) में मिला लें। इसे ठीक तरह से हिलाएं और फिर इस मिश्रण को पी लें। इसके अलावा आधा कप ऐलोवेरा जूस से भी सीने की जलन को दूर किया जा सकता है, खाना खाने से तकरीबन आधा घंटे पहले आधा कप (साधारण तापमान या ठंडा) पी लें। सोते समय अपने सिर को किताबों, तकियों या किसी और चीज़ से लगभग 6 इंच ऊपर उठा कर रखें। खाने के बाद कम से कम 3 से 4 घंटों तक लेटें नहीं। इसके अलावा अधिक घरेलू नुस्खों के बारे में जानने के लिए इस वीडियो को देखें।
हार्ट अटैक के बाद क्या करें
हार्ट अटैक के इलाज के बाद मरीज को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खासकर दवाइयों को नियमित रूप से लेना जरूरी है। इसके अलावा जिसके कारण उसे हार्ट अटैक हुआ था, उसे नियंत्रित करना चाहिए। यदि मरीज को शुगर है तो शुगर को नियंत्रित करने वाली दवा लेना जरूरी है।हाई ब्लड प्रेशर और बढ़े कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों और डाइट पर विशेष ध्यान दीजिए। जिनको धूम्रपान के कारण हार्ट अटैक हुआ था वो धूम्रपान बिलकुल न करें। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण है डाइट, खाने में कम मात्रा में जैतून के तेल का प्रयोग करें, खाने में ताजे फल व सब्जियां, ड्राई फूड को शामिल करें।
साइलेंट हार्ट अटैक के क्या लक्षण होते हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक का अर्थ है किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक हो लेकिन सीने में दर्द की शिकायत ना हो। इसमें मरीज को बिलकुल पता नही चलता है और हार्ट अटैक हो जाता है। इस स्थिति में मरीज में कुछ अन्य लक्षण दिखाई व महसूस किए जाते हैं। जिनके जरिए हार्ट अटैक की पहचान की जाती है। इसका सामान्य लक्षण है, मरीज को पेट में गैस की समस्या का महसूस होना। इसके अलावा मरीज को बेवजह थकान, शारीरिक क्रियाकलाप में सुस्ती , सामान्य स्थितियों में पसीना आना और सांस फूलना जैसे लक्षण भी साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल , धूम्रपान व नशे के सेवन से भी साइलेंट हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
मधुमेह से होने वाले हार्ट अटैक के लक्षण
अगर सामान्य स्थितियों में हार्ट अटैक होता है यानी जिनको डायबिटीज नहीं है अगर उनको दिल का दौरा पड़ता है तो इसके लक्षण अलग होते हैं, ऐसे लोगों को – सीने में तेल जलन होना, पसीना आना, घबराहट होना, गले में कुछ चुभना, गले से लेकर पेट तक जो भी दर्द है अगर वह दूसरे कारणों से नहीं हो रहा है तो वह दिल के दौरे के लक्षण हैं। कभी-कभी गले के एक साइड में दर्द होता है और कभी-कभी पेट में दर्द की समस्या होती है, इसे लोग पेट की गैस भी समझने की भूल करते हैं जबकि यह दिल से जुड़ा हो सकता है। जबकि डायबिटीज के रोगियों में दिल के दौरे के लक्षण और कम होते हैं यानी साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है। ऐेस में अगर कोई भी समस्या हो, जैसे – पसीनाअना, दिल बैठना, घबराहट होना, आदि ये सारे दिल की बीमारी से जुड़े होते हैं। इसके अलावा अगर आप चलते हैं तो 10 मिनट बाद सीने में भारीपन या सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो यह एंजाइना है है जो कि दिल की बीमारी का लक्षण है। इसके अलावा इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें।
मधुमेह से शरीर के कौन से अंग प्रभावित होते हैं
मधुमेह ऐसी बीमारी है जिसका असर दूसरे अंगों पर पड़ता है। हालांकि इस बीमारी में दूसरे अंगों में इसका असर नहीं दिखता है लेकिन अगर ब्लड में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ जाये तो इसके कारण 5-10 साल में दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। इसके कारण गुर्दे में, आंखों में, पैर की नसों में कुछ खराबी आ सकती है। दिल की बीमारी के बढ़ने की संभावना सबसे अधिक रहती है। इसके कारण लकवा होने और पैर में रक्त संचार बाधित होने का खतरा अधिक रहता है। इसके कारण अगर कोई आर्टरी ब्लॉक होती है तो हार्ट अटैक हो सकता है। इसके अलावा ब्रेन में भी रक्त की सप्लाई बाधित होने से ब्रेन स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। यह स्थिति अचानक से नहीं आती है बल्कि यह 10 साल पुराने इतिहास के कारण होता है। इसके अलावा माइक्रोवैस्कुलर संबंधित समस्यायें होने लगती है, यह किडनी से संबंधित है, अगर यह हो जाये तो उपचार मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा यह आंखों को भी प्रभावित करती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो देखें।
मधुमेह में पैरों पर असर के लक्षण
डायबिटीज का असर शरीर के सभी अंगों पर होता है, इसके कारण दूसरे अंग निष्क्रिय हो सकते हैं। इसका अगर पैरों पर असर पड़ता है तो इसके लक्षणों को आप पहले से पहचान सकते हैं। जब शरीर में ब्लड शुगर अनियंत्रित हो जाता है तो यह पैरों की नसों को प्रभावित करता है। इसके कारण तलवों में जलन, पैरों का सुन्न होना, झुनझुनाहट की समस्या, जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके कारण पैरों में धीरे-धीरे बदलाव होने लगता है। कुछ मरीजों को जब वे बिना चप्पल के जमीन पर पैर रखते हैं तो गद्दे जैसा एहसास होता है। कुछ लोगों को इटैजिया यानी असंतुलन का अनुभव होता है, यह न्यूरोपैथी से जुड़े लक्षण हैं। इसके कारण पैरों में अल्सर यानी पैरों में घाव भी हो सकता है, ये ठीक होने में अधिक समय ले सकते हैं। अगर पैरों में घाव है तो इसे दोबारा होने से बचायें। इसके अलावा कुछ जांच भी कर सकते हैं, जैसे – रोज पैरों को जांचें, जूते से घाव नहीं हो रहे हैं, पैरों की सफाई करना, नंगे पांव न चलना, सर्दियों में आग न सेंकना, आदि सावधानी बरतनी चाहिए। इसके बारे में जानकारी के लिए ये वीडियो देखें।
मधुमेह से होने वाले ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
डायबिटीज ऐसी बीमारी है जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और इसके कारण कई तरह की दूसरी गंभीर समस्यायें भी होने लगती हैं। मधुमेह के कारण ब्रेन स्ट्रोक की संभावना भी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डायबिटीज ब्रेन की खून सप्लाई को बाधित कर देता है। अगर ब्रेन स्ट्रोक होने की शुरूआती संभावना टीआईए यानी ट्रांजिएंट इश्किमिक अटैक के रूप में दिखते हैं, ये 24 घंटे में ठीक हो सकते हैं, इसके लक्षण हैं- मुंह टेढ़ा हो जाना, हाथ-पैर में कमजोरी। यह लक्षण दिखाते हैं कि आगे स्ट्रोक होने की संभावना है। दूसरा होता है कंपलीट स्ट्रोक, जिसमें हाथ-पैर में पैरालिसिस, बातचीत की पैरालिसिस, आदि। ब्रेन के किस हिस्से में खून का संचार प्रभावित होता है स्ट्रोक के दौरान यह बात बहुत मायने रखती है। चक्कर आना और कमजोरी होना भी इसके लक्षण हो सकते हैं। इसे रिकवर होने में समय लगता है। स्ट्रोक के दौरान अगर आप 3 घंटे के अंदर इंजेक्शन लेते हैं तो स्ट्रोक को बेअसर किया जा सकता है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो देखें।
मधुमेह लीवर को कैसे करता है प्रभावित
ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने के कारण होने वाली बीमारी यानी डायबिटीज से शरीर का एक ही अंग नहीं बल्कि लगभग सभी अंग प्रभावित होते हैं। सामान्यतया डायबिटीज गुर्दे, आंखें, दिल, थायराइड आदि को प्रभावित करता है। इसका असर लीवर पर भी पड़ता है। डायबिटीज के मरीजों में संक्रमण की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि शरीर में बढ़ने वाला ग्लूकोज कीटाणुओं के पनपने का प्रमुख स्रोत बन जाता है। संक्रमण होने के साथ ब्लड शुगर का स्तर भी बढ़ जाता है, इसलिए दवा की मात्रा भी बढ़ा देनी चाहिए। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल अधिक हो जाता है जो जिसका अधिकतर फैट लीवर में जमा हो जाता है, जिससे फैटी लीवर की समस्या भी मधुमेह रोगियों को होती है। इसके कारण लीवर सही तरीके से काम नहीं कर पाता है। यह लीवर को कितना नुकसान पहुंचाता है, इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए इस वीडियो को देखें।
क्या ब्लड ग्लूकोज से आपकी हृदय गति पर असर पड़ता है
अगर आपका ग्लूकोज स्तर 100-125 के अंदर है, तो इस स्थिति को प्री-डायबिटीज स्तर कहा जाता है और अगर भोजन से पहले आपका ग्लूकोज स्तर 126 से अधिक और भोजन के बाद 180 से अधिक है,तो यह डायबिटीज की पहचान है। डायबिटीज दिल की बीमारियों की एक प्रमुख वजह है। भारत में बड़ी आबादी को डायबिटीज होता है।
धूम्रपान से आपके दिल पर क्या असर पड़ता है
धूम्रपान दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह है। स्मोकिंग से हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है। धूम्रपान करने से दिल की बीमारियां होने का खतरा पांच गुणा तक बढ़ जाता है। स्मोकिंग से एनजाइना, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। अगर आप धूम्रपान छोड़ दें, तो इन बीमारियों का सम्भावित खतरा कम हो जाता है।
हाइपरटेंशन से दिल पर क्या असर पड़ता है।
हाइपरटेंशन दिल की बीमारियों को बढ़ाने वाले जोखिम कारकों में से एक है। यदि दिल की बीमारियों को बढ़ाने वाले जोखिम कारकों को देखा जाये तो ब्लड प्रेशर उसमे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि ब्लड प्रेशर 150-170 हो जाये तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। एक अध्ययन के अनुसार दुनिया का हर तीसरा दिल का मरीज भारतीय है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करके बेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है। हाइपरटेंशन के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं, वर्तमान जनसंख्या में 40 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन से ग्रस्त हैं। स्वस्थ्य जीवनशैली , संतुलित आहार और उचित दवाओं के जरिए हाइपरटेंशन को नियंत्रित किया जा सकता है।