लाख समझाया उसको कि दुनिया शक करती है,,,
मगर उसकी आदत नहीं गयी मुस्कुरा कर गुजरने की…
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो;
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो;
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है;
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।
Copyright © All right reserved | Developed by Discover of Solutions