जब कभी तेरा नाम लेते हें
दिल से हम इन्तेकाम लेते हें
मेरी बरबादियों के अफसाने
मेरे यारों का नाम लेते हें
ना वो आ सके ना हम कभी जा सके !
ना दर्द दिल का किसी को सुना सके !!
बस बैठे है यादों में उनकी !!!
ना उन्होंने याद किया और ना हम उनको भुला सके !!!!
तुम से मिले बिछड़ गए तुम से बिछड़ के मिल गए..
ऐसी भी कुर्बतें रहें ऐसे भी फासले रहे..
तू भी ना मिल सका हमें उम्र भी रेगन गए…
तुझ से तो खैर इश्क था खुद से बड़े गिले रहे…
बस चाँद को देखना हमें गवारा नहीं,
इन आँखों को तो तेरा इंतजार हैं,
चांदनी रात अब हमें लूभाती नहीं,
तेरा साथ अगर दुश्वार हैं…
तेरे वादे पर जिए हम ,तो ये जान छूट जाना !
की खुशी से मर जाते , अगर ऐतबार होता !!
नहीं मोहताज़ जेवर का, जिसे खूबी खुदा ने दी ,
की उसको बदनुमा लगता है , जैसे चाँद को गहना…..
नहीं मोहताज़ जेवर का, जिसे खूबी खुदा ने दी , की उसको बदनुमा लगता है , जैसे चाँद को गहना…..
वो प्यार जिसके लिए हमने क्या गवां न दिया
उसी ने बच के निकलने का रास्ता न दिया
जब एक बार जला ली हाथेलीया अपनी
तो फिर खुदा ने उस हाथ में दिया न दिया
जबान से दिल के सभी फैसले नहीं होते
उसे भुलाने को कहते तो थे पर भुला न दिया
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ताल्लुकात कभी एक से नहीं रखते !
उसे गँवा के भी जीने का हौशला रखना !!जब अपने ही लोग आयेंगे लूटने के लिए !!!
तो दोस्ती का तकाजा है घर खुला रखना !!!!
कभी कभी तेरी यादों के दिलनशीं लम्हे…
कसम खुदा की बहुत बेक़रार करते हैं…
हर बात पे कटती है तो कट जाए जुबा मेरी !
इज़हार तो हो ही जाएगा जो बहेगा लहू मेरा. !!
ख्वाब आँखों से अब कोई चुराकर ले जाये !
कब्र के सूखे हुवे फूल उठा कर ले जाये… !!
मुन्तजिर फूल मैं खुशबु की तरह हूँ कब से, !!!
कोई झोंके की तरह आये उड़ा कर ले जाये..!!!!
ये दिन ये रात ये लम्हे मुझे अच्छे लगते हैं..
तुम्हे सोचूं तो ये सारे सिलसिले मुझे अच्छे लगते हैं..बहुत दूर तक चलना मगर वही रहना..
मुझे तुम से तुम तक के दायरे अच्छे लगते हैं..
मुझे तलाश करोगे तो फिर ना पायोगे
मैं इक सदा हूँ सदाओं का घर नहीं होता
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रात घिरे तक घायल नगमें, करते हैं एलान यहाँ!
ये दुनिया है संग-दिलों कि, कोई नहीं इंसान यहाँ!
प्यार भीख में भी मांगो तो प्यार न डाले झोली में;
बिन मांगे मिल जाते हैं, रुसवाई के सामान यहाँ!
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे !
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे !!
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का !!!
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे !!!!
नसीब आजमाने के दिन आ रहे हैं
क़रीब उनके आने के दिन आ रहे हैं !जो दिल से कहा है, जो दिल से सुना है
सब उनको सुनाने के दिन आ रहे हैं !अभी से दिल-ओ-जाँ सर-ए-राह रख दो
कि लुटने लुटाने के दिन आ रहे हैं !!टपकने लगी उन निगाहों से मस्ती
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं !सबा फिर हमें पूछती फिर रही है
चमन को सजाने के दिन आ रहे हैं !चलो फैज़ फिर से कहीं दिल लगाएं
सुना है ठिकाने के दिन आ रहे हैं !!!!
बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
दिल में उम्मीद तो काफी है, यकीन कुछ कम है !अब जिधर देखिए लगता है कि इस दुनिया में
कहीं कुछ ज़्यादा है, कहीं कुछ कम है !!आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब
यह अलग बात कि पहली सी नहीं कुछ कम है !!!
कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ ,
कि आज धूप नहीं निकली आफताब के साथ !!तो फिर बताओ समंदर सदा को क्यूँ सुनते ,
हमारी प्यास का रिश्ता था जब सराब के साथ !!!!
ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी !
मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी !!उस बुत के सितम सह के दिखा ही दिया हम ने
जो अपनी तबियत में बगावत भी बहुत थी !!!वाकिफ ही न था रम्ज़-ऐ-मोहब्बत से वो वरना
दिल के लिए थोरी सी इनायत भी बहुत थी !!!!
बस एक हंसी से अपने अश्को को छुपाने का !
जो फन आता है तुम को, वो सिखा दो फिर चले जाना !!ना जाने क्यूँ है, लेकिन देखने की तुम को आदत है !!!
मेरी ये बे-वजह आदत छुड़ा दो फिर चले जाना !!!!
तमाम उम्र का सौदा है, एक पल का नहीं !
बहुत ही सोच-समझ कर गले लगाओ हमें !!
मेरा उस शहर अदावत में बसेरा है यारो !!!
जहाँ लोग सजदों में भी लोगों का बुरा चाहते हैं !!!!
पलकों में कैद कुछ सपने है..!
कुछ बेगाने तो कुछ अपने है..!!
न जाने क्या खूबसूरती है आपके रिश्ते में..!!!
आप हमसे दूर रहकर भी कितने अपने है..!!!!
किसी की चाहत में इतने पागल न हो !
हो सकता है वो आपके काबिल न हो !!
उसकी मुस्कराहट को मोहब्बत न समझना !!!
कही ये मुस्कुराना उसकी आदत न हो !!!!
मुझको चलने दो अकेला अभी !
मेरा रास्ता रोका गया तो काफिला हो जाऊंगा !!
सारी दुनिया की नजर मैं है मेरी एहदे वफ़ा !!!
एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा !!!!
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धोखा न देना, तुझ पे ऐतबार बहुत है !
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है !!
तेरी सूरत न देखें , तो दिखाई कुछ नहीं देता !!!
हम क्या करें के तुझ से हमें प्यार बहुत है !!!!
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हम कितने बेवफा हैं की एक दम !
हम ” उनके दिल से ” निकल गये !!
उनमें कितनी वफा थी की आजतक !!!
वो ” हमारे दिल से ” नहीं गये !!!!
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बिखरे थे जो अल्फ़ाज इस कायनात में !
समेंटा है उन्हें चंद पन्नों की किताब में !!
अब दुआ नहीं मांगता बस पूंछता हुं खुदा से !!!
अभी कितनी सांसे और हैं हिसाब में..??!!!!
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उनकी आँखों से काश कोई इशारा तो होता !
कुछ मेरे जीने का सहारा तो होता !!
तोड़ देते हम हर रस्म ज़माने की !!!
एक बार ही सही उसने पुकारा तो होता !!!!
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बैठे-बैठे गम में गिरफ्तार हो गए !
किसी के प्यार में आबाद हो गए !!
दो गज जमीन मिल ही गई मुझ गरीब को !!!
मरने के बाद हम भी जमींदार हो गए !!!!
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अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें !
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए हैं !!
यह इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें !!!
इक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है !!!!
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ग़ज़ब है जुस्तजु-ए-दिल का यह अंजाम हो जाए !
कि मंज़िल दूर हो और रास्ते में शाम हो जाए !!
अभी तो दिल में हल्की-सी ख़लिश मालूम होती है !!!
बहुत मुमकिन है कल इसका मुहब्बत नाम हो जाए !!!!