6. कितनी एकाग्रता है आप में?

आप चीज़ों को कितनी सहनाशीलता से लेते हैं, उन पर कितना ध्यान देते हैं और किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा किसी वस्तु से आपका ध्यान हटा पाना कितना आसान है, इन सभी सवालों के जवाब पाना बेहद जरूरी है।
7. तो फिर नहीं कर सकते ये काम आप

यदि आप इस टेस्ट में फेल हैं तो आप कभी भी किसी के दिमाग को पढ़ने की यह कला नहीं सीख सकते। क्योंकि यहां पर आपको अपनी आंखों के साथ-साथ अपने कान और दिमाग खुला रखना है तथा साथ ही बेहद समझदारी से काम लेना है। अन्यथा आप फेल हो जाएंगे।
8. सीखें एक आसान ट्रिक

तो इस ट्रिक को सीखने के लिए सबसे पहले तो किसी को अपनी ओर आकर्षित करना सीखें। यहां आकर्षण का मतलब केवल वही नहीं जो आप समझ रहे हैं वरन् सही आकर्षण वही है जो किसी की ओर हमारे मन तथा दिमाग को ले जाता है। यदि आप अपने सामने बैठे इंसान को केवल अपनी ही बातों में लाना सीख लें तो आप आगे उसके दिमाग को पढ़ने का रास्ता आरंभ कर सकते हैं।
9. लोगों को आकर्षित करना सीखें
अब केवल अपनी ओर आकर्षित करने के बाद ज़रा उसे कम्फर्टेबल फील कराएं, यानी कि आपके साथ होते हुए या आपसे बात करते हुए वह हिचकिचाए नहीं। क्योंकि उसकी हिचकिचाहट उसे कुछ और सोचने पर मजबूर कर देगी जिससे वह सच की बजाय झूठीं बातें बनाने पर ध्यान लगा सकता है। किसी ने सही ही कहा है कि एक ‘भाषा’ सारे कार्य बना देती है।
10. उन्हें कम्फर्टेबल करें

आप अपने तरीके से किसी से बात करेंगे तो शायद यह सामने वाले इंसान के दिमाग में उतर भी जाए लेकिन उसकी समझ की भाषा में बात करने से वह बातें उसके दिल में उतर जाएंगी और वह आप पर विश्वास करने लगेगा। उससे वैसे ही बात करें जैसा कि वह पसंद करता है लेकिन ध्यान रहे कि उसे इसके पीछे कोई स्वार्थ नज़र नहीं आना चाहिए।
11. वह आपकी बात सुनेगा

अब जब वह पूरी तरह से आपको समझने लगा है तो वह काम शुरू कीजिए जो आप जानना चाहते हैं। सीधे कोई सवाल करने से बचें लेकिन उसे विश्वास दिलाते हुए बात को घुमाते हुए पूछा गया सवाल एक सही जवाब पा सकता है। अब उस सवाल का जवाब देते हुए उसके लफ़्ज़ों के साथ उसकी शारीरिक आकृति क्या बयां करती है, यह जरूर देखें।
12. वह सच बोल रहा है या झूठ?

क्या वह बात करते समय आपसे आंखें मिला रहा है? क्या वह बिलकुल भी हिचकिचाता नहीं है तथा साथ ही पूरे आत्मविश्वास से बात कर रहा है तो वह वाकई आपसे कुछ छिपा नहीं रहा और सारी बातें सही बता रहा है। लेकिन इसके विपरीत उसकी एक हिचकिचाहट उसके झूठ का पर्दाफाश करती है।
13. उसकी हिचकिचाहट

हो सकता है कि सच को बयां करते समय भी वह हिचकिचा रहा हो, ऐसा उन लोगों के साथ होता है जिनमें सच कहने की हिम्मत नहीं होती लेकिन फिर भी वे किसी तरह से हिम्मत जुटा रहे होते हैं। ऐसे लोग धीरे-धीरे कंपकपाती हुई आवाज़ से नार्मल आवाज़ में आते हैं।
14. धैर्य रखें

लेकिन तब तक आपको संयम रखना होगा। यह देखते रहना होगा कि वह सच में शर्म की वजह से आंखें झुकाकर बात कर रहा है या फिर सच में पकड़े जाने के भय से वह आंखें मिलाने से डर रहा है।
15. कुछ साइन्स को पढ़ें

सच और झूठ बोलते समय ना केवल एक इंसान की आवाज़ बल्कि उसके शारीरिक अंग भी कई तरह के लक्षण बयां करते हैं। सच बोलने वाला इंसान किसी की आंखों में आंखें मिलाकर बात करने की हिम्मत रखता है। उसे आंखें चुराने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन झूठ बोलने वाला इंसान आंखों में देखने की बजाय इधर-उधर देखता है।
16. यदि वह कुछ छिपा रहा है

सच बोलते समय हाथ या पांव कभी कांपते नहीं हैं। हो सकता है कि शुरू में यह कोई बड़ा सच बोलने की हिचकिचाहट को दर्शाते हों लेकिन धीरे-धीरे सच स्वयं ही उन्हें हिम्मत दे देता है। लेकिन झूठ बोलने वाले या कुछ छिपाने वाले लोग अक्सर अपने शारीरिक अंगों पर नियंत्रण खो देते हैं।
17. उनकी घबराहट
उन्हें पता भी नहीं लगता कि कब उनके हाथ कांपने लगे, पांव बिना किसी वजह हिलने लगे और नर्वस होते हुए वे कभी-कभी हाथों को खुजाने भी लगते हैं। लेकिन जब कॉन्फिडेंस पूरा हो तो लोग ऐसा कभी नहीं करते।
18. लेकिन ऐसे लोग भी होते हैं

लेकिन कुछ लोग इस मामले में भी काफी तेज़ होते हैं। वे झूठ को भी सच बनाना जानते हैं। उनकी आंखें या शारीरिक अंग उनके झूठ को कभी दर्शाते नहीं हैं, इसके पीछे उनमें झूठ बोलने का कॉन्फिडेंस शामिल है। ऐसे में शायद आपको पता भी नहीं लगेगा, लेकिन ये लोग आपकी नज़रों से बचकर निकल जाएंगे।